ना जाने क्यूँ मरने के बाद भी ,
आज जीने का ख़्वाब आ गया ,,
ना जाने आज क्यूँ इस लाश के अन्दर ,
साँसों का एहसास आ गया ,,
ना जाने क्यूँ अब इस तन्हाईयों में,
ज़िन्दगी जीने का एहसास आ गया ,,
ना जाने क्यूँ आज इस छाँव में भी ,
आँखों के आगे तस्वीर के रूप में
सूरज आ गया ,,
ना जाने क्यूँ जख्मों इस सूखेपन को भरने,
प्यार का सागर ना जाने कहाँ से आ गया ,,
ना जाने क्यूँ इस मन में आज ,
दीवानगी का ख़्वाब आ गया ,,
और ना जाने क्यूँ इस बार
इस दिल में पहली बार ,
नफरत की आग को भुजा कर,,
प्यार के फूल को एहसास आ गया ,,,,,,
आज जीने का ख़्वाब आ गया ,,
ना जाने आज क्यूँ इस लाश के अन्दर ,
साँसों का एहसास आ गया ,,
ना जाने क्यूँ अब इस तन्हाईयों में,
ज़िन्दगी जीने का एहसास आ गया ,,
ना जाने क्यूँ आज इस छाँव में भी ,
आँखों के आगे तस्वीर के रूप में
सूरज आ गया ,,
ना जाने क्यूँ जख्मों इस सूखेपन को भरने,
प्यार का सागर ना जाने कहाँ से आ गया ,,
ना जाने क्यूँ इस मन में आज ,
दीवानगी का ख़्वाब आ गया ,,
और ना जाने क्यूँ इस बार
इस दिल में पहली बार ,
नफरत की आग को भुजा कर,,
प्यार के फूल को एहसास आ गया ,,,,,,