Saturday, January 15, 2011

ek intazaar khavaboon main

मिलने का ख़्वाब ना जाने 
क्यूँ आया हैं इस दिल में
       इस बार ,
दिल के अरमान ना जाने 
क्यूँ  कह रहे यहीं बात 
       इस बार ,,
खयालूँ की मंजिल तलाश 
रहीं हैं आप ही को तोह 
        हर बार ,
खुदा ने दी हैं आपको 
शकल सूरत ऐसी 
जिससे करते हैं हम 
आप का ही बस आप ही 
 का इंतज़ार खवाबूं
        में हर बार ,,
बस एक बार उस रूप 
का दीदार करादे ,,
यही दुआ दुआ हम 
करते हैं अपने खुदा 
बार बार    बार बार,,,,,,  
   अमीन्न्न्न 

No comments:

Post a Comment